नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HSRCL ) अहमदाबाद से मुम्बई के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की परियोजना पर काम कर रहा है. इस परियोजना के तहत लगभग 508.17 किलोमीटर लम्बा हाई स्पीड रेलवे ट्रैक बिछाया जाना है. लेकिन इस प्रोजेक्ट में इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है कि निर्माण के काम के चलते पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो. वहीं कई मामलों में इस प्रयोजेक्ट के जरिए पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी.
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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत पेड़ों को काटने की बजाए उन्हें स्थानांतरित किया जा रहा है
बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत मार्ग में आने वाले सभी पेड़ों को काटने की बजाए वृक्ष कुदाल प्रौद्योगिकी के जरिए उन्हें एक जगह से निकाल कर दूसरी जगह पर लगाया जा रहा है. ऐसे में पेड़ जीवित रहते हैं बस उनकी जगह बदल जाती है.
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बुलेट ट्रेन चलाए जाने से पर्यावरण को होगा फायदा
बुलेट ट्रेन को चलाए जाने से पर्यावरण को कई तरह से फायदा होगा. इस ट्रेन के चलते से मुम्बई से अहमदाबाद के बीच सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले लोग बड़ी संख्या में बुलेट ट्रेन में यात्रा करेंगे जिससे गाड़ियों में खर्च होने वाला डीजल व पेट्रोल बचेगा. इस जैविक इंधन को देश में आयात किया जाता है. मांग घटने से आयात में कमी आएगी और देश का पैसा बचेगा.
बुलेट ट्रेन पूरी तरह से बिजली से चलेगी ऐसे में कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा
बुलेट ट्रेन पूरी तरह से बिजली से चलेगी. ऐसे में इस ट्रेन के चलते से किसी तरह के इंधन के जलने से कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा. वहीं अन्य परिवहन के माध्यमों की तुलना में बुलेट ट्रेन में कार्बन उत्सर्जन कम होता है. इससे पर्यावरण पर असर न के बराबर होगा.
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बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए ज्यादातर ट्रैक एलिवेटेड बनाया जाना है
बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए ज्यादातर ट्रैक एलिवेटेड बनाया जाना है. ऐसे में जमीन पर पहले से मौजूद इमारतों या अन्य ढांचों में बहुत अधिक बदलाव की जरूरत नहीं होगी. ऐसे में बुलेट ट्रैक का ट्रैक बनाने के लिए कम ऊर्जा खर्च करनी होगी.
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